गणतंत्र दिवस की परेड देझने वालो की खासी भीड़ थी।लोग मिलो तक सड़क के दोनों तरफ खड़े थे।वे भी एक जगह खड़े हो गए थे।परेड शुरू होने पर फौजी जवानों को देखकर माया की आंखे पति को याद करके नम हो गई।परेड देखकर वे घर लौट आये थे।अगले दिन चन्द्रकान्ता, दामोदर और माया घूमने के लिए गए थे। कुतुब मीनार,लालकिला,ज़ू घूमते समय वे यह भूल गए थे कि मौसी भी उनके साथ है।वे एक दूसरे का हाथ पकड़कर ऐसे चल रहे थे मानो दो प्रेमी हो।उसी दिन शाम को वे सभी उपकार फ़िल्म देखने गए थे।सिनेमा हॉल में माया और