घर की मुर्गी - प्रस्तावना

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अक्सर ससुराल में नई बहू के आते ही उसे जिम्मेदारी के नाम पर अकेले ही हजारों कामो के लिए सौप दिया जाता हैं। बिना यह सोचें कि वह अभी इस घर मे नयी है। हर लड़की को मायके की आजादी से निकल ससुराल के शिकंजे में एक ना एक दिन तो बंधना ही होता हैं। लेकिन इन सब के लिए उसे ही खुद को एडजस्ट भी होना पड़ता हैं।......और इन सब के बीच तो समय लगता ही हैं। सबके साथ घुलने- मिलने में थोड़ा समय,बात -व्यवहार में थोड़ी परेशानी, अच्छाई-बुराई, पसंद-नापसंद सबको समझने में एक माह तो लग ही जाता