अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे- भाग -22

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पिछले भाग में आपने पढ़ा- अपने मित्र गेरिक, अभियान सहायक और सेनापति के राजनीतिक षड्यंत्रो से व्यापारी क्षुब्ध है। क्या उसकी शंकाओं का निवारण होता है? आगे कहानी क्या मोड़ लेती है? पढ़िये अगला भाग ------ अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे भाग-22 एक कथा और उसमें कई कथायें जैसा कि आप सब जानते हैं; मैंने अपनी बाल्यावस्था में ही यह द्वीप छोड़ दिया था... “आपने? क्यों?” मैंने उत्सुकता वश बात काटकर पूछा। मुझे पता नहीं था। मुझे तो लगता था। ये लोग यहीं पैदा होते और यहीं मर जाते हैं। “बचपना...” वे बोले, “बचपना, उत्सुकता और नई खोजों