टोले के बीचोंबीच था उसका घर । उसका घर मतलब छिनाल का घर । खौफ इतना कि नई पीढ़ी ने उसका चेहरा तक न देखा था । कहते हैं पहले ये रामनाथ मिश्र का मकान था और ये उनकी पतोहु थी । इसके बाप ने दहेज में नहीं दिया था स्कूटर , कहता था पढ़ी लिखी बेटी दी है कलेजे का टुकड़ा अब पैसे क्यों खर्चूं । सामाजिक दबाब में शादी तो हो गई लेकिन एक रोज रामनाथ बाबू ने चोटी पकड़कर घसीटते हुए बाहर कर दिया जा बिना स्कूटर आना मत । बाल छुड़ाकर भागी थी वो सबने सूूंघा था उसके