भुइंधर का मोबाइल - 3

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भुइंधर का मोबाइल - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 जानती हैं अम्मा आपका पूत बड़ा जबरा है। इतना जबरा कि मारे भी और रोने भी न दे। मगर मेरी भी एक ही धुन थी कि इन्हें रास्ते पर लाना है, तो मैं अपनी बात पर अड़ी रही। फिर अचानक ही इन्होंने मेरी साड़ी का आंचल पकड़ कर खींच लिया कस कर। मगर मैं इनकी पकड़ से बचने के लिए दूसरी तरफ लुढ़कती गई। इनके हाथ मैं नहीं सिर्फ़ मेरी साड़ी लगी। अब इनका सुर बदलने लगा। बोले ‘देख नौटंकी न कर सीधे आ जा। नहीं तो दुशासन की तरह चीर हरण