कलंक नही ब्रा हूँ मैं !

  • 8.4k
  • 1
  • 2.4k

"जो महसूस किया वह ना लिखा तो क्या लिखा,सुना वो जो औरो ने सुनकर भी अनदेखा कर दिया....ये कोई कहानी नही अपितु लेख है। हर स्त्री की वो पीड़ा है जिसे वो अपने भीतर कैद करके रखने की कसम खाती है। लेकिन क्या ये सही है।लोग एक तरफ स्त्री का सम्मान करते है दूसरी तरफ उसी स्त्री को बात बात में दुत्कारते है। मुझे पता है इस लेख पर सौ तरह के कमेंट होंगे। कोई कहेगा ये लिखने की क्या जरूरत। कोई कहेगा अब कुछ ना मिला तो यही लिख दिया। कोई कहेगा हेडिंग तगड़ा लिख देने से फॉलोवर बटोरने