केसरिया बालम - 8

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केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 8 गर्माहट पर पानी के छींटे बेकरी में धानी का काम जम जाने व उसे अच्छी तनख्वाह मिलने से बाली अब निश्चिंत हो गया था कि एक ओर से इतना पैसा आ रहा है तो वह खतरों से खेलने के लिये स्वतंत्र है। कुछ भी हुआ तो धानी की आमदनी तो है ही। उसकी अपनी महत्वाकांक्षाएँ बढ़ती रहीं। अपने व्यवसाय में एक के बाद एक जोखिम ऐसे उठाता रहा जैसे हर खतरे से लड़ लेगा। आगे बढ़ने का जुनून कुछ ऐसा था कि आगे-पीछे सोचने का वक्त ही नहीं था उसके पास। अपने नये परिवार