महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – पच्चीस नौगाँव से नैनीताल आये दस दिन गुजर गये थे। इन दस दिनों में अखिल यहाँ रम सा गया। आश्रम में भक्त आते। दो-चार दिन रूकते। फिर लौट जाते। भक्तों के आने-जाने का सिलसिला लगातार बना हुआ था। भक्त कुछ इष्ट मित्रों सहित सिर्फ पहाड़ घूमने आये थे। दिनभर सैर-सपाटा करते और रात को आश्रम में आकर ठहर जाते। कुछ भक्तों की अपनी समस्याएँ थी, जो इन्हें यहाँ खींच लायी थी। राधामाई सुबह-शाम इन भक्तों की ध्यान कक्षा लेती। दोपहर में भक्तों का दुखड़ा सुनती। उन्हें उपाय बताती। किसी को दो-दो घंटे शिव मंदिर में