जो घर फूंके अपना 49 और अब पुलिस पीछे पड़ गयी दिल्ली वापस पहुंचकर हैदराबाद की उड़ान वाले उस अप्रिय प्रसंग को भूलने की कोशिश कर ही रहा था कि लगभग पंद्रह दिनों के बाद मेरे पास ऑफिस में एक फोन आया. फोन करनेवाले ने अपना परिचय अशोक सक्सेना कहकर दिया. मेरे दिमाग में इस नाम से कोई घंटी नहीं बजी. इसे वे मेरी क्षण भर की चुप्पी से भांप गए. उन्होंने कहा “ आपको शायद नाम ध्यान न हो, मैं वही पुलिस ऑफिसर हूँ जिसने जीप में आपको हैदराबाद एयरपोर्ट पहुंचाया था” मेरे दिमाग की बत्ती जली. कुछ लज्जित