10. आनन्द योग - ध्यान-योगाभ्यास से लाभः

(17)
  • 8.3k
  • 2.1k

जब हम अपने जीवन व चेतना को अन्तर्मुखी करके अपने अन्दर की ओर चलना प्रारम्भ कर देते हैं तो स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर के आवरणों को भेद कर आत्म - साक्षात्कार की मंजिल तक पहुंच जाते हैं । तभी अक्षय व शाश्वत आनंद की प्राप्ति होती है। यही मानव-जीवन का चरम लक्ष्य एवं सर्व श्रेष्ठ उपलब्धि है।