नरोत्तमदास पाण्डेय ’’मधु’’ बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में बुन्देलखण्ड के ऐसे कृती कवि हुए हैं जिन्होंने प्रभूत परिमाण में उत्कृष्ट काव्य-रचना की है किन्तु उनकी ओर हिन्दी जगत का अधिक ध्यान आकृष्ट नहीं हुआ। हिन्दी साहित्य के इतिहासों में काल और प्रवृत्ति के आधार पर कविता का जो अध्ययन किया गया उसमें प्रतिनिधित्व के रूप में कुछ ही कवियों का नामोल्लेख होता रहा है। देश के विभिन्न अंचलों के अनेक प्रतिभा सम्पन्न कवियों का समावेश उसमें नहीं हो पाया। एक तो प्रकाशन के अभाव में उनका काव्य उपेक्षित रह गया। दूसरे, साहित्य के इतिहास में काल विशेष की प्रतिनिधि प्रवृत्तियों