तीन औरतों का घर - भाग 6 हामिदा के निकाह के बाद साबिर का मन भी इस कस्बे से उचाट हो चला था! इस कस्बे में ही उसने जन्म लिया था! बचपन की शरारतें जवानी का अल्हड़पन सभी इस कस्बे में बीता था! उसकी आँखों ने युवावस्था के रंगीन प्रेम के सपने भी इसी कस्बे में बुने थे वह सब उधड़ कर उलझ गए थे और साबिर को यह लगने लगा था इस कस्बे में उसके लिए अब कुछ बाकी नहीं बचा हैं! हामिदा ने उसकी मुहब्बत को आखिर क्यों ठुकरा दिया! उसका क्या कसूर था! वह यह समझ ही