राशिफ़ल(अंतिम भाग)

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हम सोचते सोचते शाहगंज के चौराहे पर आ पहुँचे थे।चौराहे पर आकर लाइन लगाकर खड़े रिक्शो पर हमने नज़र डाली थी।हम आज ऐसे रिक्शे में बैठना चाहते थे।जिसको चलाने वाला बीच की उम्र का हो। यानी न जवान हो,न बूढ़ा हो।हमे मालूम था,जवान रिक्शा चालक बहुत तेज़ रिक्शा चलाते थे।वह जल्दी से जल्दी नियत स्थान पर पहुचने के चक्कर मे कभी कभी किसी सवारी से टकरा जाते थे।ज्यादा उम्र का रिक्शेवाला बड़ी मुश्किल से हांफता हुआ मंज़िल तक पहुंच पाता था।बूढ़ा आदमी रिक्शा धीरे चलाता था,लेकिन टक्कर हो जाने पर रिक्शा नही सम्हाल सकता था।ज्यादा उम्र होने के कारण उसके