प्रतिकर्षण

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प्रतिकर्षण कैलाश बनवासी बस से उतरकर उसने घड़ी देखी-ग्यारह दस. यह गाँव उसका नहीं है. वह तो यहाँ से दस मील दूर दक्षिण-पूर्व में है.यह तो उसके गाँव के लिए बस स्टैंड है.उसका गाँव भी अजीब स्थिति में है,.बस से यहाँ उतरो.फिर दस मील तक पैदल मार्च. कोई अन्य साधन नहीं—न साइकिल न मोटर. उसने देखा,बस उसे छोड़कर भरभराकर काली पक्की सड़क पर निकल गयी है.इधर दो-एक टीन-टप्पर वाले होटल हैं.वह आगे बढ़ चला.अपने कंधे पर लटके बैग को व्यवस्थित करते हुए. सामने धूल-धूसर पगडंडी है. यह लगभग दो मिल तक यों ही है. धूल से अटी.ऐसा है कि पैर