आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 14. चोटिल शरीर पर प्रतिदिन प्रताड़ना सहते हुए रानी की पीड़ा और घृणा तो कम नहीं हो सकती थी, किन्तु किसी प्रकार के इलाज या दवाइयों के बिना भी उसका शरीर स्वतः ही धीरे-धीरे अपनी क्षतिपूर्ति कर रहा था । वह बिस्तर से उठने और चलने फिरने लगी थी । लगभग एक माह पश्चात् शरीर की चोट काफी हद तक ठीक होने के बावजूद रानी को अचानक चक्कर आने लगा। खाने-पीने से भी अरुचि होने लगी । कुछ भी खाते-पीते ही उलटियाँ होकर सारा खाया-पिया बाहर निकल आता। सारा दिन उबकाइयों में और उल्टियाँ