यूँ ही राह चलते चलते -21- आज उन्हें स्विटजरलैंड से आगे के सफर के लिये निकलना था चार दिन रह कर भी मन नहीं भरा था। उनका वश चलता तो वहीं डेरा जमा लेते। पर समय की गति को कौन रोक सकता है आगे तो जाना ही था। एक बार फिर सबने अपना अपना सामान बाँधा और चल पड़े एंजिलबर्ग के बाद के अगले पड़ाव यानि कि जर्मनी की ओर। रास्ते में एक झील पड़ी जिसका आधा पानी नीला और आधा हरा था। अनुभा को प्रयाग का गंगा-यमुना का संगम याद आ गया जहाँ एक ओर से गंगा का मटमैला