जननम - 6

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जननम अध्याय 6 उसकी वजह से ही मेरे मन में एक संतुष्टी है ऐसा वह सोचती है। यदि इसकी दोस्ती नहीं होती तो अभी तक मैं पागल हो गई होती। कितने ही तरीके से उसने उसका समाधान किया ! उससे बड़ा सच्चा दोस्त कौन मिलेगा ? अस्पताल में रहते समय निर्मला और जया उस पर पागल जैसे छाई हुई रहती थीं इस बात को वह समझ गई। इससे जो लोग इसके बहुत निकट से रहते हैं उनका उससे संबंध तो नहीं हो जाएगा उसे ऐसा लगा था। फिर मन में एक धक्का सा लगा । मैंने इतनी जल्दी से ऐसा