गवाक्ष - 2

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गवाक्ष 2 मंत्री जी के मुख से मृत्यु की पुकार सुनकर दूत प्रसन्न हो उठा । ओह ! कोई तो है जो उसे पुकार रहा है । 'अब उसका कार्य आसान हो जाएगा' वह उत्साहित हो गया -- महोदय ! मैं आपको ही लेने आया हूँ । अब तक मंत्री जी किसी स्वप्नावस्था में थे, दूत की वाणी ने उनके नेत्र विस्फ़ारित कर दिए, वे चौकन्ने हो उठे। अपनी वस्त्रहीन देह संभालते हुए वे बोले -- मेरे अंतरंग कक्ष में किसीको आने की आज्ञा नहीं है, तुम कैसे चले आए और दिखाई क्यों नहीं दे रहे हो ? क्या उस पर्दे के पीछे छिपे हो ?वे सकपका से गए । इस