एपीसोड --- ८ कविता रोली की दिनचर्या के बारे में सुनकर अपनी काजल भरी आँखें व्यंग से नचाकर कहती है, “बिचारी कितनी मेहनत कर रही हैं यदि किसी छोटे शहर में शादी हो गई तो ये डिग्री रक्खी की रक्खी रह जायेगी ।” समिधा उसकी बात से चिढ़ उठी, “जब हम उसे अच्छी डिग्री के लिए पढ़ा रहे हैं तो उसकी शादी भी सोच समझकर करेंगे ।” “फिर भी लड़कियों की किस्मत का क्या ठिकाना ? सोनल का न आगे पढ़ने का मन था, न हमें उसे पढ़ाने का । होटल मैनजमेंट के सर्टिफिकेट कोर्स के लिए पता करने गई