होने से न होने तक - 38

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होने से न होने तक 38. यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं शुरु हो गई थीं और सभी काफी समय के लिए उसमें व्यस्त हो गए थे। कालेज आते हैं तो वहॉ मन नही लगता। घर जाते हैं तो वहॉ भी मन में बेचैनी बनी रहती है। ज़िदगी अजब तरह से उलझ गयी है। यश हर समय याद आते रहते हैं। यश से नाराज़ नही होना चाहती। उस नाराज़गी का कोई कारण भी नहीं है फिर भी हर क्षण अपने आप को आहत महसूस करती रहती हूं। फिर मीनाक्षी दिमाग में घूमती रहती है। उस पर कालेज का यह बदला हुआ माहौल। लगता