आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 12. रानी जहाँ बैठी थी, बिना हिले-डुले निष्क्रिय और भाव शून्य मुद्रा में वहीं पर बैठी रही । एक क्षण पश्चात् उसके कानों में बालिका-गृह की उसी परिचारिका का पूर्व परिचित आदेशात्मक स्वर सुनाई पड़ा, जिसने पिछली रात रानी को नेता जी से मिलने के लिए कपड़े लाकर दिए थे - "चल उठ ! वार्डन साहब ने बुलाया है ! "मुझे कहीं नहीं जाना है !" रानी ने निराश-उदास लहजे में उत्तर दिया। "कहीं नहीं जाना है ? यह होटल तेरे बाप का है क्या ? जहाँ तू जब तक चाहे रहेगी ! जल्दी