आसमानी गुलाब

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"न जाने... हम फिर मिल पाएंगे भी या नहीं!" जन्नत कमल के गले लग रोते हुए बोली।"तुम एक बार, हाँ..कह कर तो देखो जन्नत..! मैं तुम्हारे लिए सारी दुनिया से लड़ जाऊंगा।" कमल रोती हुई जन्नत के आंसू पोंछते हुए बोला।"नहीं....कमल! तुम्हें मेरी कसम जो मेरी खातिर तुमने घरवालों से बगावत की तो...!""तो फिर...!""कुछ मत कहो.. कमल..! इस पल को मुझे बस, जी भर के जी लेने दो।" कमल की बाहों में बैठे-बैठे न जाने कब शाम हो गयी। चौकीदार के पार्क बंद किये जाने के लिए बजाई जा रही सीटी से दोनों की प्रेम-धुन टूटी।"तुम्हें मेरी याद तो आएगी