चूड़ियां

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चूड़ियां न जाने क्यों आज उसका चेहरा आँखों के आगे से हट नहीं रहा है,चाहे कितना भी मन बटाने के लिए अपने को अन्य कामों में व्यस्त कर लूँ, या टी वी ऑन करके अपना मनपसंद कार्यक्रम देख कर उसे भूलने की कोशिश करू, -बार बार उसका मासूम चेहरा, खिलखिलाती हँसी और हाँ खनकती चूड़ियाँ मेरा ध्यान अपनी ऒर वैसे ही खीच ले जाती है जैसे तेज हवा का झोका किसी तिनके को उड़ा ले जाये। आज कितने वर्षो बाद मिली थी वो, आह !वो भी इस रूप में..... इस हालत में। बचपन से जानती थी उसे, हमारे घर से दो घर छोड़ कर रहने वाले शर्मा अंकल के यहाँ किरायेदार बनकर