उर्वशी - 4

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उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 4 वह ही है मूर्ख, जो बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कल्पना कर रही है। उन्होंने कब उसके साथ प्रेम की पींगें बढ़ाई ? कब उसे अपने विषय मे धोखे में रखा ? कब कोई वादा किया ? तो फिर उसे हर समय फूल भेजने का क्या अर्थ था ? उसने कब उन्हें जाना था ? क्यों मुलाकात होने पर उसे मुग्ध भाव से देखते रहते थे ? हर बार उनकी दृष्टि ने उसके प्रति अपने लगाव को प्रदर्शित किया था। क्यों उसने उनकी दृष्टि में प्रेम के सन्देश पढ़े ? उसने बिना किसी