बडी प्रतिमा - 7

  • 6.5k
  • 1.9k

बडी प्रतिमा (7.) इस घटना के तीसरे रोज की बात है। शाम हो आई थी। अभी घर गई लडकियां लौटी नहीं थीं। दो-चार लडकियां ही हाॅस्टल में इधर उधर डोलती रहती थीं। अभी सब की सब इकट्ठा होकर फील्ड में बैठी बातें कर रही थीं। मार्च का महीना था। शाम की हवा बडी सुहानी लगती थी। वार्डन भी घर गई थीं इसीलिए नर्मदा भी इस गोल में आ बैठी थी। वह कहने लगी – “मुझे भी घर जाना था, पर मेरे तो पांच दिन ही बुधवार को पूरे होंगे । फिर पूजा पाठ में घर जाकर क्या करना ? जानती