चुपङी रोटियाँ

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चुपड़ी रोटियां रजनी ने सिम्मी आंटी का दरवाजा जोर से खटकाया । सिमरन ने दरवाजा खोला तो रजनी एकदम से फट ही पड़ी ।आंटी जी ! इसे कहते हैं कलयुग । घोर कलयुग आ गया घोर ।" पर हुआ क्या ? बता तो सही । क्यों बिना बात लाल सुर्ख हुई जा रही है “" क्या बताऊँ ? बताते हुए भी शर्म आ रही है । कभी ऐसा अंधेर आपने कहीं देखा पढ़ा , कि बहुएं ससुर का परछन करें ।“क्या बोल रही है रजनी ? “सही कह रही हूँ आंटीजी । आपके ढिल्लो साहब शादी