विदा रात - 3

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तब बरखा को एहसास होने लगा कि मात्र भावात्मक लगाव उसकी बने रहने में सहायक नही हो सकता।शारीरिक इच्छा की पूर्ति भी ज़रूरी है।इस इच्छा को पति ही पूरी कर सकता है।वह पुराने जमाने की उन औरतो में से नही थी।जो पति चाहे जैसा हो।उसके साथ सारी उम्र गुज़ार देती थी।बरखा आधुनिक ज़माने की शिक्षित औरत थी।वह अपना सारा जीवन शेखर के पीछे तबाह नही कर सकती थी।इसलिए उसने दूसरे रास्ते के बारे में सोचना शुरू कर दिया।हर दृष्टि से सोचकर,हर पहलू पर विचार करकेऔर भविष्य में किन बातों का सामना करना पड़ सकता है।उसने तलाक देने का निर्णय कर