खिड़की के पास कमरे में बैठा हूं। बाहर की ओर अब हल्की-हल्की बारिश अभी भी जारी है। कल रात से ही बारिश हो रही । एक बार तो बारिश होके बंद हो गई थी लेकिन रात को 3 बजे फिर से बारिश शुरू हो गई। अब जाके बारिश कुछ कम हुई है। बाहर से मेरी तरफ भी कुछ बारिश कि बूंदे आ रही हैं। मन कर रहा कि मैं भी इन बूंदों के साथ घुल-मिल जाऊं।लेकिन नहीं .क्योंकि मेरे दादा वारांदे में बैठे किताब पढ़ रहे हैं।खिड़की से ही कई लोगों का घर साफ साफ दिखाई दे रहा है। बरामदे में