डॉगी

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डोगी दीपक रावल मनसुख की साँस अटक रही थी.... आँखें फटी हुई थी... डोगी सीने पर चढ़ बैठा था... उसके मुँह से बदबू आ रही थी... गले में उसके पैरों के नाखून काट रहे थे... वह चीखना चाहता था पर आवाज़ नहीं निकल रही थी.. हाथ-पैर पटक रहा था... लगता था मानो प्राण निकल जायेंगे... दूर किसी गुफा से आनेवाली आवाज़ की तरह इला की आवाज़ सुनाई दे रही थी... डोगी.. डोगी.. डोगी... वह चौंक गया. देखा तो आसपास कोई नहीं था. वह पसीने से तरबतर हो गया. पसीना पोंछा. दो ग्लास पानी पिया. थोड़ी देर ऐसे ही टहलता रहा.