उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय-7

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निजी महाविद्यालय में नौकरी :-प्रथम निकल गया। एक घंटे में वो दुर्ग पहुँच गया। सारा सामान ऊतारा और ड्राईवर के साथ ऊपर कमरे तक लेकर गया।नमस्ते भैया, मेरा नाम गोलू वर्मा है, लाईये मैं ले लेता हूँ इसे।अरे नही भाई।नहीं लगता भैया, दीजिए मुझे।अच्छा ठीक है मैं बाकी सामान ले आता हूँ।भैया आप कहाँ काम करते हैं ?मैं यार वो बालोद रोड पर जो कॉलेज है ना वहाँ पढ़ाता हूँ।अरे वहीं तो बाजू वाले भैया भी जाते हैं।अच्छा क्या नाम है उनका ?धीरज श्रीवास्तव।अच्छा वो हैं क्या अभी रूम में।नहीं, अभी शायद कॉलेज गए होंगे। शाम को आते हैं तो