महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – इक्कीस स्टॉल्स पर लोगों की भारी भीड़ थी। कोई माला खरीद रहा था.....कोई बाबाजी का हिमालय में समाधिस्थ चित्र......कोई घर में सम्पन्नता के लिये यंत्र खरीद रहा था तो कोई माताओं के चित्रों वाला लाॅकेट....कोई भाग्य चमकाने वाली अंगूठी खरीद रहा था तो कोई घर में शंति के लिये पिरामिड। कोई कब्जियत की दवाई खरीद रहा तो कोई ताकत की दवाई हाथों में लेकर आजू बाजू देख रहा था। कोई स्टॉल के सामने खड़े होकर प्रवचन की सीडी सुन रहा था। कुछ देर अखिल किताबों में खोया रहा फिर अचानक किताब को नीचे रख बाबाजी