केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 3 पंखों को छूती हवाएँ एक-एक करके मायका तो छूटना ही था, बचपन का साथ भी छूटना था, आखिर कब तक यह साथ रहता भला! इस नये क्रम की शुरुआत हुई सलोनी से। सलोनी तो साँवली थी पर उसका बाँका गोरा था। काली मूँछें और तीखी नाक, माथे पर घुंघराले बाल। जब पहली बार आया था तो हीरो ही लग रहा था। उस समय तो वे दोनों भी उसके साथ अपने सपनों में डूबने लगी थीं जब सलोनी ने कजरी और धानी से कहा था – “जिसे मैंने देखा नहीं, जिससे कल्पना लोक में ही