लेखक:-डॉ.सुनील गुलाबसिंग जाधव, नांदेड़, भारत मो.९४०५३८४६७२ सूर्य देवता की लोरी सुनकर बाबूराव बिस्तर पर घड़ी की तरह गोल घूमते हुए निंद्रा रस का पान करते सुहाने सपनों के जश्न में डूबे हुए थे कि अचानक किसी वस्तु की धड़ाम-धड़ाम, टन-टन की आवाज गूंज उठी | बाबुराव इस ध्वनि के कारण स्वप्न लोक से हडबडाकर जाग गये थे | जागकर जब वास्तविक जगत में प्रवेश किया तो पाया कि बर्तन गिरने की आवाजे आ रही हैं | अबतक घड़ी की तरह घूम-घूम कर सोनेवाले बाबूराव उसी अवस्था में दौड़कर बर्तन के आवाज की दिशा में दौड़ पड़े | देखते है