लोक कथा- चतुर दर्जी सत्यप्रकाश नाम का दर्जी कपड़े सीने में बड़ा माहिर था। वह नयी-नयी डिजायन के कपड़े सीता था। इस कारण उसके यहाँ ग्राहकों की भीड़ हमेशा ही मौजूद रहती थी। बुद्धि की एक आदत खराब थी, वह कपड़ा चुराने में पूरी चतुराई लगा देता था। जब कोई ग्राहक कपड़े सिलवाने के लिये उसे नाप दे जाता तो सत्यप्रकाश कपड़ा काटते समय हर वस्त्र में से थोड़ा सा कपड़ा बचा के रख लेता। इसी आदत के कारण सत्यप्रकाश कोे लोग सत्तू दर्जी के नाम से पुकारते थे। सम्पत प्रसाद नाम का मुनीम खुद को