शास्त्री जी जल्दी ही जल चढा के आ गए। तीनों जीप पर सवार हुए और शास्त्री जी के घर पहुंचे। छाया घर के बाहर ही चबूतरा बुहार रही थी। दूर से जीप आती दिखी तो उसे खटका हुआ। ऐसी ही जीप से तो उसे देखने वाले आये थे। जब तक वो कुछ तय करती तब तक जीप दरवाज़े पर आ गयी। छाया हाथ की झाड़ू वहीं छोड़ अंदर भाग गई। अंदर दौड़ते जाती छाया की एक हल्की सी झलक मिली छोटू को वो भी पीछे से। बस लहराती लम्बी चोटी ही देख पाया इस आकृति की। शास्त्री जी बड़े आदर,