महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – बीस समाधि का वक्त नजदीक आता जा रहा था। समाधि स्थल पर तीनों माताएँ पहुँच चुकी थी। वे आँख बंद किये जोर-जोर से ऊँ नमः शिवाय का जाप कर रही थी। अखिल, अनुराधा और वानखेड़े जी तीनों माताओं के पीछे बैठे थे। समाधि स्थल के चारों ओर एकत्रित जन समुदाय भी पूरे भक्ति भाव से झूम रहा था। बीच-बीच में माईक पर संतु महाराज की आवाज गूँज रही थी। समाधि में सिर्फ एक घंटा शेष है... सिर्फ आधा घंटा... समाधि की परिक्रमा करना मत भूलिये, समाधि की परिक्रमा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। हजारों