होने से न होने तक - 35

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होने से न होने तक 35. जितनी आसानी से और जितनी जल्दी यश ने हॉ कर दी थी उसको ले कर मन में बाद तक कुछ चुभता रहा था। क्या यश मेरी तरफ से ही आग्रह किए जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे ताकि किसी भी प्रकार के अपराध बोध से मुक्त रह सकें वे? क्या आण्टी समझ गयी थीं वह बात? ख़ैर जो भी हो। एक अकेलापन है। एक जान लेवा ख़ालीपन दिल और दिमाग पर जम गया है। मुझे तो एक एक क्षण बिताना कठिन हो रहा है। यश के बिना यह जीवन कैसे कटेगा पता नहीं। लग