एक बूँद इश्क - 8

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एक बूँद इश्क (8) "करीब पाँच बरस की रही होगी। तान्या नाम था उसका। एकदम गुडिया सी मासूम, मोटी-मोटी आँखें, चेहरे पर शरारत और गोल मटोल सी, बस रंग शावँला था उशका कृष्णा की तरह। बतूनी तो इतनी कि बश पूछो मत?" गणेश बोलते-बोलते खो गया है। जैसे वह उस सुख के अहसास को ताजा कर रहा हो। करीब पन्द्रह दिन रूके थे वो लोग। रोज तान्या हमारे शाथ खेलने आ जाती, खूब उधम मचाती..कभी कन्धें पर चढ़ती तो कभी मेरा चश्मा उतार कर भाग जाती। चकरघन्नी की तरह घुमाती तब जाकर चश्मा मिलता हमारा...मेमशाव, एक नम्बर की शैतान लड़की