औरतें रोती नहीं - 17

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औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 17 मन्नू की जिंदगी का का-पुरुष फरवरी 2007 मीटिंग लंबी चली। महिला कल्याण विभाग की मीटिंग जल्दी खत्म हो सकती थी भला? मन्नू सुबह जल्दी जगी थी। इस समय उसे इतनी नींद आ रही थी कि आंखें खुली रखना मुश्किल हो रहा था। मीटिंग खत्म होते ही वह झटपट उठकर बाहर आ गई। सुशील उससे पहले बाहर आ चुके थे। मन्नू को देखते ही उसके पास आ गए और बहुत मुलायम आवाज में पूछने लगे, ‘‘कैसी हो? कुछ सीखने को मिला मीटिंग में। नीरजा जी तो बहुत अच्छा बोलती हैं। मैं उन्हें अच्छी तरह