एक बूँद इश्क (7) उसे चिन्ता है कल परेश आ जायेगा और वह वापस दिल्ली लौट जायेगी। इन नये रिश्तों का क्या जो अभी-अभी ही बने हैं? पनपने से पहले ही मुरझा न जायेगें? और फिर कौन जाने कब दोबारा आना हो? लेकिन अब परेश को लौटाना संभव भी नही है। ख्यालों को तिनका-तिनका संजोती रीमा ने तय कर लिया कि आज जी भर जियेगी। काबेरी के परिवार की आत्मियता और उसकी खुश्बू से मन को महकायेगी। गणेश और शंकर से बातों की अंताक्षरी खेलेगी। गणेश ने दो दिन की छुटटी ले ही रखी है सो समय का आभाव भी