औरतें रोती नहीं - 16

(17)
  • 7.5k
  • 1
  • 2.4k

औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 16 दगाबाज आईना वो दिन, वो शाम... मैं थरथराकर उठ गई। मेरा मोबाइल बज रहा था। थककर रुक गया। दो मिनट बाद मैसेज की खनखन हुई। बेमन से उठाकर देखा- दिल्ली से मेरी अस्सिटेंड आलवी का मैसेज था- तुम्हारा डॉगी टुटू बीमार चल रहा है। चार दिन से खाना नहीं खाया। तुम कब आ रही हो? टुटू का क्या करूं? मैंने दो पल मैसेज पर नजरें गड़ाए रखीं। फिर एक परिचित फोन नंबर मिलाया। ‘‘ऑनी... बिजी तो नहीं... आ सकते हो?’’ ऑनी की आवाज स्पष्ट नहीं थी। वह किसी के साथ था। उसने बेहद