आधी दुनिया का पूरा सच (उपन्यास) 8. रानी अौर साँवली पर दिन-रात हर क्षण माई की कठोर दृष्टि का पहरा रहता था । माई की अनुपस्थिति में इस कार्यभार का निर्वहन झुग्गी में उपस्थित वयस्क लड़की मुंदरी करती थी, जो झुग्गी के मध्य भाग में उन्हीं के साथ रहती थी । उसके ऊपर माई का विशेष स्नेह था । प्रतिदिन संध्या समय में माई उसको विशेष स्वादिष्ट मिष्ठान देकर प्यार से पुकार कर कहती थी - "मुंदरी ! ले बेटी खा ले !" मुंदरी बड़े गर्व के साथ आगे बढ़कर मिठाई स्वीकारती और साँवली-रानी चुपचाप इस दृश्य को देखती रहती।