उसके बाद चाचा जी ने जो चारपाई पकड़ी तो साल भर बाद उनकी अर्थी ही घर से निकली। बेटा बहू चाची के पास ही अा गए थे। बहू व आस पड़ोस के तानों के कारण चाची एक चलती फिरती लाश ही रह गई थी। और कुछ सालों में अपना मानसिक संतुलन खो चल बसी। जिस रज्जो को दुनिया मरा हुए समझ भूल चुकी थी, वो इतने वर्षों बाद इस हाल में मिलेगी कभी सपने में भी सीमा ने नहीं सोचा था। शाम को रवि ने जब उसकी परेशानी का कारण पूछा तो उसने थकावट का बहाना कर टाल दिया। रात