कहानी " दाता " "बच्चें सो गए क्या ?" पिता ने चिंतित स्वर में पूछा। " हाँ अभी अभी सोए हैं।" "समझ रहा हूँ.., भूख से नींद तो आई नहीं होगी तूने मार डपटकर सुला दिया होगा।" "अब हम लोग भी गाँव ही चलते तो सही रहता। " पत्नी ने शहर के माहौल को देखते हुए अधीर होकर कहा। "पगला गई है क्या ! लॉकडॉउन में आने जाने के सभी साधन बंद है। वैसे भी गाँव में एक खपरैल मकान के अलावा है क्या हमारा। अभी जब सब कुछ बंद है, हमको वहाँ भी काम कौन देगा।" "फिर भी शहर