एक रात चोर की

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यह कहानी मेरे बच्चपन की है। सिर्फ मेरा ही नहीं कई लोगों के साथ इससे मिलती घटनाएं हो चुकी होंगी। आप लोगों से निवेदन है कि आप इस कहानी को अवश्य पढ़ें और कहीं भी त्रुटि होने पर मुझे क्षमा करने का कष्ट करें।ये बात उन दिनों की है जब हम लोग स्कूल जाया करते थे। उस दिनों स्कूल जाना भी कांटों पर चलने जैसा रहता था। रोज़ रात को सोने से पहले कुछ ना कुछ बहाना सोच के ही सोते थे कि कल स्कूल कैसे ना जाएं । जिद्दी तो बच्चपन से थे ही बिना एक दो हाथ लिए