महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – अठारह बाबाजी योग के बारे में बोल रहे थे। किसी विदेशी ने प्रश्न किया था। ‘‘योग केवल आसन और प्रणायाम तक सीमित नहीं है। यह एक पूर्ण विज्ञान है। योग अंतरिक्ष के सूक्ष्म से सूक्ष्म तत्वों को पकड़कर अपने अनुकुल कार्य करने की प्रेरणा देता है। ‘‘योग अंतरिक्ष के सूक्ष्म तत्वों को कैसे पकड़ता है ?’’ विदेशी युवक ने पूछा। ‘‘ऐसा है बेटे स्काट, अंतरिक्ष में जो कुछ हो रहा है उसका शरीर से गहरा संबंध है। और जो कुछ भी हर पल शरीर में घट रहा है उसका अंतरिक्ष से गहरा संबंध है। योग