एक गहरी राहत की सांस ली सुमित्रा जी ने। जानकी को कोई बीमारी न निकल आये, वे यही मना रही थीं बस। अगर उसने अपने बचाव के लिए बब्बा जू की सवारी का ड्रामा भी किया, तो क्या ग़लत किया? अपनी सुरक्षा के लिए की गई हत्या को भी तो अपराध नहीं माना जाता। कुंती के जुल्मोसितम से बचने के लिए 17-18 साल की कोई लड़की, और कर भी क्या सकती थी? गाँवों में सासों के अत्याचार से पीड़ित पता नहीं कितनी लड़कियों को इसी प्रकार या तो देवी आने लगती हैं या बब्बा जू। कई तो बाक़ायदा पागल होने