महामाया - 17

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महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – सत्रह भोजनशाला से अपने कमरे की ओर जाते समय अखिल ने देखा कि मंदिर प्रांगण में सन्नाटा था। समाधि के लिये खोदे जा रहे गड्डे के पास कौशिक , जग्गा और जसविंदर बैठे-बैठे कुछ खुसुर-फुसुर कर रहे थे। अखिल कमरे में जाकर डायरी लिखने लगा- डायरी: आज का दिन बहुत थका देने वाला रहा। लेकिन बहुत से सवाल जेहन में छोड़ गया। आखिर यहाँ हो क्या रहा है? कितने सारे पात्र है। अलग-अलग किरदार, चमत्कृत कर देने वाली घटनाएँ तो यहाँ लगभग रोज ही घट रही है। विष्णु जी...... क्या केरेक्टर है। वह बाबाजी को