उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-4

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शाम के 5 बजे ठीक स्कूल के सामने गाड़ी खड़ी नजर आई। प्रथम सिर झुका के गाड़ी के ड्राईवर सीट पर बैठा था। उसकी आँखे लाल थी। वह सारी रात सो नहीं सका था उसे लग रहा था कि उससे इतनी बड़ी भूल हो गई है जो क्षम्य नहीं है। पता नही अनु जी कैसे रियेक्ट करेंगी। अचानक गेट खुला प्रथम चैक गया। अनु आकर पीछे सीट पर बैठ गई।प्रथम ने शीशे में चुपके से देखा अनु का चेहरा कठोर दिखाई दे रहा था। चलिए कहाँ चलना है? अनु ने कहा। आप जहाँ कहें अनु जी। मैं क्यों बताऊंगी, आप का जहाँ मन करे