कुछ कहानियाँ जीवन से जन्मती हैं और उसी के खट्टे-मीठे अनुभवों की आंच में धीमे-धीमे पकती हैं! आप इसे कहानी माने या महज एक किस्सा ये आपकी मर्जी पर है लेकिन कथाकार का दावा है कि यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है! उस रात हुआ यूँ कि बड़े चौधरी के चेहरे पर विचित्र से असमंजस की छाया डोल रही थी! वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या और कैसी प्रतिक्रिया दें! अब जबकि वे स्वयं तय नहीं कर पाए तो उन्होंने उसी स्थिति में बिचले चौधरी की ओर देखा और बिचले चौधरी ने अपनी दृष्टि छोटे चौधरी